कोली-कोरी समुदाय के सभी संगठन एक हो जाएं तो समाज को क्या मिलेगा?


कोली टाइम्स डेस्क

क्या सभी कोली-कोरी समाज की संस्थाओ को अब एक हो जाना चाहिए? हमारा जवाब है, बिल्कुल हो जाना चाहिए। इस शानदार सोच का कोली टाइम्स पूरी तरह समर्थन करता है। आपको बता दें कि इस सवाल का एक बहुत ही खूबसूरत सा जवाब आया है, इंजीनियर खेमचंद कोली की ओर से। अखिल भारतीय युवा कोली-कोरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष, खेमचंद कोली कहते हैं- 

  

"बेशक सभी संस्थाओं को, एक हो जाना चाहिए क्योंकि एकता में ही शक्ति है। एक झाड़ू अगर खुल जाए तो कूड़ा बन जाती है और बंध कर रहे तो कूड़े को साफ कर देती है। अगर हम संगठित रहेंगे तो भारत के हर राज्य में हर राज्य की राजधानी में कोली समाज की मीटिंग में लाखों लोगों की मौजूदगी देखने को मिलेगी। कई राज्यों में कोली-कोरी समाज का मुख्यमंत्री होगा । अगर समाज का हर परिवार महीने में, 10 रुपये की सहयोग राशि देता है, तो हर महीने करोड़ों की धनराशि जमा हो जाएगी, जो कि समाज के उत्थान और विकास में बेहद सहायक सिद्ध होगी । हमें किसी भी सरकार के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा । इस तरह हम, भिखारी से परोपकारी बन सकते हैं । हमारा सालाना शक्ति प्रदर्शन बेहद जानदार और शानदार होगा। जिसकी धमक पूरे विश्व में महसूस की जा सकेगी । अगर हमारा समाज एक राजनीतिक पार्टी बनाता है, तो यकीनन प्रधानमंत्री भी हमारे ही समाज का होगा । इसलिए हमें पूरे भारत में, समाज की एक ही संस्था रखनी चाहिए । इस तरह हम अपने गौरवशाली इतिहास को दोबारा प्राप्त कर सकते हैं। हम जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बड़ी मजबूती से आगे बढ़ सकते हैं। चाहे वो राजनीतिक, शैक्षिक, सामाजिक या अन्य कोई सा भी क्षेत्र हो । यही एकमात्र विकल्प है, जिससे हम अपनी बकरी वाली छवि को, शेर वाली छवि में बदल सकते हैं, और हर प्रकार के शोषण और अत्याचार से, बच सकते हैं । तब हमारे समाज पर, अत्याचार करने वाले शक्तिशाली असामाजिक तत्वों को भी, हजार बार सोचना पड़ेगा, कि इनसे पंगा लूं या ना लूं । हमारे हमदर्द, हमारे मसीहा बाबा साहेब ने भी, हमको शिक्षित और संगठित होकर संघर्ष करने की नसीहत दी है।

जय झलकारी बाई, जय कबीर,

जय बाबा साहब, जय संविधान,

जय कोली कोरी, बुनकर समाज"  

आइये अब आपको खेमचंद कोली के इस आह्वान पर, समाज के कुछ लोगों की प्रतिक्रियाओं से रूबरू कराते हैं। 

हेमराज कुमार ने लिखा है- 

"अति आवश्यक, परंतु लगता है कि अभी तक न कोई प्रभावशाली व्यक्ति सामने आया है, न कोई सार्थक प्रयास हुआ है, जो समाज को संगठित कर एक मंच प्रदान कर पाया हो।" 

नरेंद्र कुमार शाक्य लिखते हैं-

"कोरी कोली समाज में एकता और विश्वास कभी नहीं हो सकता । क्या कारण है कि हमारा समाज एक जगह नहीं आता, एक जगह नहीं बैठता । हमारे समाज के व्यक्ति एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या और नफरत से भरे हुए हैं । जहां मन में ऐसी बातें होती हैं, वहां प्रेम भावना नहीं होती । हम अच्छा काम करेंगे, तो लोग उसमें भी अड़ंगा लगा देते हैं । कोई भी व्यक्ति अच्छा काम करेगा, उसकी टांग खींची जाएगी।" 

देश राज तंवर ने लिखा है-

"बहुत अच्छे विचार हैं श्रीमानजी । आपकी सोच, कर्मठता और समाज को एकजुट करने का आपका जज्बा बहुत ही सराहनीय है । पर विडम्बना है कि कुछ लोग व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण अलग-अलग संस्थाएं बनाए हुए हैं । हम संपूर्ण भारत में एक ही संस्था के पक्षधर हैं । आगे बढ़ो, कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती।"

मनोज कोरी शिवा कहते हैं-

"अफसोस, क्या अब यह समाज एकजुट हो पाएगा? बड़े-बड़े शब्द और स्लोगन लिखने से अच्छा है, कि सामाजिक संगठनों के सभी पदाधिकारी, 'एक मंच एक सोच' रखें तभी एकजुटता हो सकती है । जय भीम, जय संविधान, जय कोरी समाज।"

चौहान साहब फरमाते हैं-

"जिस समाज को आप जागृत करने की बात कर रहे हैं, वह समाज जागृत होना ही नहीं चाहता है । मैं कई बार पोस्ट पर कमेंट करके सुझाव देता हूं, तो मुझे उसका कोई जवाब नहीं मिलता । कई बार मुद्दों पर बात करता हूं, लेकिन कोई एक्शन नहीं लेता।" 

शशांक सिंह का कहना है-

"हम तो हमेशा से यही चाहते हैं, इसलिए सभी संगठनों के नेताओं को, एक मीटिंग कर लेनी चाहिए, और एक होकर काम करना चाहिए।" 


आखिर में हम सिर्फ इतना ही कहेंगे कि समाज को एकजुट करना है, तो सबसे पहले समाज के संगठनों की एकता जरूरी है । इसे कोली-कोरी समाज की एकता की दिशा में, एक मजबूत कदम कहा जा सकता है । अब ये समाज के लोगों पर निर्भर है कि वो इस पर कब, कैसे और किस तरह अमल करते हैं । सपने तभी सच होते हैं जब उन्हें हकीकत में तब्दील करने के लिए सच्चे मन से प्रयास किए जाएं । हम उम्मीद करते हैं कि कोली-कोरी समाज की एकता का ये सपना एक न एक दिन जरूर सच होगा।