हिमाचल प्रदेश के सोलन की निवासी पर्वतारोही बलजीत कौर के नाम जुड़े कई रिकॉर्ड


कोली टाइम्स ब्यूरो

सोलन, हिमाचल प्रदेश। जांबाज पर्वतारोही बलजीत कौर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले की निवासी हैं। बलजीत कौर को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने का गौरव हासिल है। बलजीत ने 17 मई, 2022 की रात करीब 10 बजे एवरेस्ट पर चढ़ाई शुरू की थी और कई मुश्किलों को पीछे छोड़ते हुए चार दिन के बाद 21 मई 2022 को सुबह साढ़े चार बजे एवरेस्ट पर पहुंचकर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा लहरा दिया। 


माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान बलजीत कौर के गाइड मिगमा शेरपा भी उनके साथ रहे। एवरेस्ट को फतह करने का बलजीत कौर का ये दूसरा प्रयास था। 2016 में भी वे एवरेस्ट मिशन में शामिल थीं, लेकिन तब ऑक्सीजन मास्क में खराबी आने की वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा था। उस समय बलजीत महज 300 मीटर की दूरी से लक्ष्य तक पहुंचने से रह गई थीं, लेकिन इरादों की पक्की बलजीत कौर अपना हौसला नहीं छोड़ा और आखिरकार उस लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल कर ही लिया।

27 वर्षीय बलजीत कौर हिमालय की कई चोटियां फतह कर चुकी हैं। वे ऐसी पहली महिला भारतीय पर्वतारोही हैं जिन्होंने 8 हजार मीटर से ऊपर की चार पर्वत चोटियों को 24 दिनों में फतह करने का रिकॉर्ड बनाया है। 28 अप्रैल 2022 को बलजीत ने 8 हजार 91 मीटर ऊंचे माउंट अन्नपूर्णा और 12 मई को 8 हजार 566 मीटर ऊंची चोटी माउंट कंचनजंगा पर भी सफलतापूर्वक चढ़ाई की थी। 12 मई 2021 को बलजीत कौर ने एवरेस्ट की छोटी बहन कही जाने वाली पुमारी चोटी पर भी चढ़ाई की थी। 


बलजीत कौर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले की उप तहसील ममलीग के तहत आने वाली ग्राम पंचायत सतड़ोल के गांव पंजड़ोल की रहने वाली हैं। पर्वतारोही युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकीं बलजीत कौर का कहना है कि देश में टैलेंट की कमी नहीं है, बस जरूरत है तो अवसर और प्रोत्साहन की। 

बलजीत बताती हैं कि सोलन कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उन्हें पर्वतारोही बनने का जुनून सवार हुआ था। जिसके बाद इन्होंने इसके लिए कठिन ट्रेनिंग की। बलजीत कौर के मुताबिक उन्हें अपने पिता अमरीक सिंह और मां शांति देवी से हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। पिता से प्रेरणा पाकर बलजीत ने स्कूल में ही एनसीसी ज्वाइन कर ली थी। बलजीत कौर की कामयाबी पर सिर्फ सोलन को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को गर्व है।