कोली समुदाय के एकमात्र मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी, चार बार संभाली गुजरात के सीएम की जिम्मेदारी


कोली टाइम्स डेस्क

कांग्रेस के दिग्गज नेता माधव सिंह सोलंकी को गुजरात के सियासी समीकरण बदलकर राजनीति की नई इबारत लिखने के लिए जाना जाता है। उन्होंने राजनीति मे अगड़ी जातियों का वर्चस्व तोड़ा, और क्षत्रिय, दलित, आदिवासी एवम् मुस्लिम समुदाय को अपने साथ मिलाकर, राजनीति का ऐसा मजबूत गठजोड़ तैयार किया, जिसके सामने उनके विरोधी पस्त हो गए। सोलंकी की इसी राजनीतिक सूझबूझ ने उन्हें 1980 के दशक में प्रचंड बहुमत के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया। दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और मुस्लिमों के दम पर माधव सिंह सोलंकी चार बार गुजरात जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बने। वे भारत के विदेश मंत्री भी रहे। 


माधव सिंह सोलंकी 24 दिसंबर 1976 को पहली बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में 182 में से 141 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया, जबकि बीजेपी को मात्र 9 सीटें मिलीं।1981 में उन्होंने आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने का काम किया था, जिसके विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए और कई लोगों की जान भी गई। उन्हें ब्राह्मण, बनिया और पटेल समुदाय का विरोध झेलना पड़ा। राज्य में आरक्षण विरोधी हिंसा के बाद सोलंकी ने 1985 में इस्तीफा दे दिया, लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में वो बंपर वोटों से जीतकर आए।   



पेशे से वकील माधव सिंह सोलंकी का जन्म आणंद के नजदीक बोरसाड कस्बे के एक कोली परिवार में 30 जुलाई 1927 को हुआ था। 1957 का विधानसभा चुनाव उन्होंने बोरसाड साउथ विधानसभा सीट से लड़ा। उनका मुकाबला निर्दलीय उम्मीदवार खोड़ाभाई परमार से था। इस मुकाबले में सोलंकी को 16 हजार 740 वोट मिले, जबकि खेड़ाभाई सिर्फ 13 हजार 432 वोट ही हासिल कर पाए। इस तरह माधव सिंह सोलंकी पहली बार विधानसभा पहुंचे। अलग राज्य बनने के बाद गुजरात राज्य में 1962 में पहली बार चुनाव हुए, जिसके बाद जीवराज मेहता के नेतृत्व में पहली बार माधव सिंह सोलंकी रेवेन्यू मिनिस्टर बने। उसके बाद 1975 तक वो लगातार कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे।


बोफोर्स तोप की खरीद पर जब देश की राजनीति में खूब शोर शराबा चल रहा था, तब माधव सिंह सोलंकी नरसिंह राव सरकार में विदेश मंत्री थे। विदेश मंत्री रहते हुए भी उन्‍होंने दावोस में स्विस विदेश मंत्री से कह दिया कि बोफोर्स केस राजनीति से प्रेरित है। इस पर इतना विवाद हुआ कि सोलंकी को विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। वे मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके थे। 2015 से उन्होंने गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली।

माधव सिंह सोलंकी जमीन से जुड़े और जनाधार वाले नेता थे। उस दौर में जब गुजरात सरकार के पास कोई हेलीकॉप्टर या विमान नहीं था, तब सोलंकी सड़क मार्ग से कच्छ क्षेत्र के दूरस्थ क्षेत्रों की यात्रा करते थे। माधव सिंह सोलंकी के तमाम फैसलों से उनकी राजनीतिक सूझबूझ का पता चलता था। कोई नेता चाहे उनका कितना ही खास और भरोसेमंद क्यों न हो, अगर उन्हें पता चल जाता था कि उसने अपने क्षेत्र में ठीक से काम नहीं किया है, तो वे चुनाव में उसका टिकट काटने से गुरेज नहीं करते थे। माधव सिंह सोलंकी ने अहमदाबाद मुंबई रेल मार्ग पर नए उद्योगों की इजाजत देकर, गुजरात के औद्योगिकीकरण में मदद की, और कच्छ में नए बंदरगाह स्थापित किए। उन्हें गुजरात के स्कूलों में मिड डे मील योजना शुरू करने के लिए भी याद किया जाता है। बाद में उनकी इस योजना को कई सरकारों ने अपने राज्यों में लागू किया। 9 जनवरी 2021 को 94 वर्ष की उम्र में उन्होंने गांधी नगर में अंतिम सांस ली।