आरक्षण को भीख कहने वाले आजकल खुद आरक्षण ले रहे हैं और कई आरक्षण के लिए लाइन में खड़े हैं


🔖 हरीश मेघवाल

"मेरे बेटे के 97% मार्क्स आए फिर भी उसको इंडिया में कॉलेज नहीं मिला और वो यूक्रेन में गया और मारा गया।"

"आरक्षण से मेरे बच्चे को एडमिशन नहीं मिला इसलिए वो मारा गया।"

"आरक्षण देश को बर्बाद कर देगा।"

पिछले कुछ दिनों से ये नया गंगूबाई रोना लगा रखा हैं, कुछ तो ढंग से इसे सच मानकर स्टेटस पर स्टेटस, पोस्ट पर पोस्ट कर रहे हैं और कुछ नीच लोगों को तो मौका चाहिए व्यवस्था बिगाड़ने का।

पहले कम से कम सच तो जान लो महान इंसानों.........

बाप बोल रहा हैं कि 97% मार्क्स आए, तो ये 12वी में आए होंगे ना अगर Neet में आए होते तो पक्का सलेक्शन होता ही।

2021 की नीट की कटऑफ ही 50% थी जनरल की।

SC, ST, OBC की कट ऑफ 40% थी।

अब इनके बच्चो से क्या 50% या 40% मार्क्स भी नहीं लाए गए, ये तो टॉपर्स थे ना मेरिट धारी, क्या हुआ इनके दिमाग को।

10वी या 12वी की परीक्षा में तुम भले ही 100% मार्क्स ले लो, मेरिट में आ जाओ पर उससे आईआईटी या नीट क्लियर नहीं होता, उसके लिए अलग से तैयारी करके पेपर फाइट करना पड़ता हैं।

आजकल का पढ़ाई का सिस्टम ऐसा हो गया है कि गांव गांव से मेरिट आ रही हैं, हर कोई 90% लेकर बैठा रहता हैं।

क्यों ???? 

पहले क्यों नहीं आते थे इतने लोग मेरिट में ??

अब बच्चो को रटाया जाता हैं कि बेटा एग्जाम में यही आएगा इसी पर फोकस करो, परीक्षा पैटर्न वही हैं, प्रश्न भी वही हैं, बाहर एस कुछ नहि आएगा,रट्टा मार मार के बच्चे टॉप तो कर लेते हैं, पर सिर्फ स्कूल तक।

इनमें से कुछ क्रीम माइंड के बच्चे होते हैं वो तो आगे भी इसी तरह बरकरार रहते हैं पर वो बच्चे जो ढंग से सिर्फ रट के ही टॉप हुए हैं वो आगे फ्लॉप हो जाते हैं। आईआईटी या नीट कॉलेज में फ्लॉप हुए इन रट्टा वाले बच्चों को लात मार के निकालती हैं।

ये बच्चे आईआईटी या नीट का इंट्रेंस एक्जाम तक नही निकाल पाते फिर दोष देते हैं आरक्षण को।

अगर कोई बच्चा जो एससी एसटी ओबीसी से डॉक्टर बन जाए तो लोग बोलते हैं कि आरक्षण से बना हैं, क्या इलाज करेगा, मार देगा मरीज को।

कॉलेज में सिलेक्शन के लिए आरक्षण सबको हैं, बस तभी तक काम आएगा ये, कॉलेज में घुसने के बाद खुद को ही मेहनत करना पड़ता हैं, सभी को बराबर ही पढ़ना पड़ता हैं, वहां आरक्षण कुछ काम नहीं आता।


अब भारत के डॉक्टरी एजुकेशन सिस्टम पर आते हैं।

यहां मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के लिए फीस सवा करोड़ रुपिया हैं। बाहरी देशों में इसके 25% में भी डॉक्टरी की पढ़ाई हो जाती हैं डिग्री भी मिल जाती हैं, मतलब की 30 लाख।

अब जब तुम लोग पैसे बचाने के लिए अपने बच्चों को यूक्रेन, चाइना भेज रहे हो तो फिर दोष आरक्षण को क्यों दे रहे हो ??

सरकार के खिलाफ बोलने में तो तुम्हारी बोलती बंद हो जाती हैं, इसलिए ठीकरा फोड़ों सीधा आरक्षण पर।

आज से पहले तक मेरे मन में हमदर्दी थी उन बेचारे बच्चो के लिए जो यूक्रेन में बेवजह मारे गए, पर सच बोलूं इनके मां बाप की इतनी घटिया राजनीति से वो हमदर्दी भी खत्म हो गई।

इससे एक बात फिर से साफ हो गई कि इस समुदाय विशेष के मन में हमारे लिए मैली पड़ी गंदगी इतनी जल्दी नहीं निकलेगी।  ये मानसिक बीमार लोग समाज को निरंतर तोड़ते रहेंगे तब तक, जब तक कि इनके अपने लोग इनका विरोध ना कर दें।

आखिर में इतना ही कहूंगा कि जब आरक्षण नहीं था ना तब भी तुमने कुछ नहीं उखाड़ा, तब भी तुम लोग झोला हाथ में लेकर के मांगते ही थे, कुछ बड़े बड़े गुम्बद बनाकर के भगवान के नाम पर अब भी मांग ही रहे हो। अब जब आरक्षण के बलबूते ही सही एक शोषित SC,ST,OBC वर्ग भी देश के विकास में अपना योगदान देना चाहता है, तो कम से कम उन लोगों को भी आगे बढ़ने दो। 

आरक्षण को भीख कहने वाले आजकल खुद आरक्षण ले रहे हैं और कई आरक्षण लेने की लाइन में खड़े हैं।