पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आखिर क्यों नहीं बन रहे कोरी समाज के जाति प्रमाण पत्र?


🔎 कोली टाइम्स ब्यूरो

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों से कोरी समाज के लोग अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी आखिर में उन्हें नाकामी ही हाथ लगती है। पश्चिमी यूपी के जिलों में कई बार कोरी समाज के लोगों ने धरना प्रदर्शन किए, अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे, मुख्यमंत्री से लेकर, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक को चिट्ठियां लिखीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वर्षों बाद भी कोरी समाज की ये समस्या, जस की तस बनी हुई है। 


कोरी समाज के युवक जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए संबंधित सरकारी दफ्तरों में जाते हैं, और मायूस होकर वापस लौट आते हैं। ये सिलसिला पिछले कई सालों से जारी है। कोरी समाज के नौजवान, एक अदद जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए वर्षों से भटक रहे हैं, लेकिन कोई उनकी सुनने वाला नहीं है। 


कोरी समाज का कहना है कि साल 2017 में हाईकोर्ट ने जुलाहा, बुनकर समेत कई जातियों को, कोरी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश जारी किया था। लेकिन उसके बाद भी उनके प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं। मौजूदा वर्ष 2021 की ही बात करें, तो अलग-अलग जिलों में कोरी समाज के लोग, जाति प्रमाण पत्र बनवाने की मांग को लेकर कई बार कलक्ट्रेट में प्रदर्शन कर चुके हैं।

 

पिछले दिनों बागपत में डीएम और संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर, कोरी समाज के लोगों के जाति प्रमाण पत्र बनवाने की मांग की थी। लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। उससे पहले हापुड़ में जाति प्रमाण पत्र बनाने की मांग को लेकर, कोरी समाज के युवाओं ने रैली भी निकाली थी, लेकिन उनकी परेशानी सुनने और समझने के लिए कोई तैयार नहीं है। 


कोरी समाज के एक प्रतिनिधिमंडल के मुताबिक, पश्चिमी यूपी के जिलों में कुछ लेखपाल जान बूझकर कोरी समाज के लोगों के जाति प्रमाण पत्र नहीं बना रहे हैं। आवेदकों को कुछ न कुछ कमी निकालकर लौटा दिया जाता है, जिससे उन्हें नौकरी के लिए आवेदन करने, और बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने में परेशानी हो रही है। 


अकेले शामली में ही पिछले कुछ दिनों में, लेखपालों ने कोरी समाज के 300 आवेदन खारिज किए हैं, और करीब 500 जाति प्रमाण पत्र कैंसिल किए जा चुके हैं। जबकि यूपी की कोरी, बुनकर, कबीर पंथी

 और जुलाहा आदि जातियों को, अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कई शासनादेश जारी हो चुके हैं। इस संबंध में कोरी समाज के लोग जब भी अधिकारियों से मिलते हैं, तो उन्हें जांच और कार्रवाई का भरोसा देकर लौटा दिया जाता है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर होता कुछ नहीं है। 


कुछ दिन पहले ही शामली में कोरी समाज के लोगों ने, जाति के प्रमाण पत्र जारी न किए जाने के विरोध में कलक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन किया था। जिलाधिकारी कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर बताया था, कि शामली की तीनों तहसीलों में कोरी समाज के प्रमाण पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं। कोरी समाज के लोगों ने हापुड़ में एसडीएम श्रद्धा शांडिल्य को ज्ञापन सौंपकर बताया था कि लेखपालों की आनाकानी और प्रशासन की उदासीनता की वजह से, कोरी समाज के बच्चों और युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है। एसडीएम ने दिक्कतों को दूर करने का भरोसा भी दिया, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। इससे पहले सहारनपुर में भी कोरी समाज के संगठनों ने, तहसीलदार सुरेंद्र यादव से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा था। 


कोरी समाज की समस्याओं के सवाल पर सरकार सब कुछ ठीक होने का दावा करती है। जाति प्रमाण पत्र के लिए शासनादेश जारी करने की बात कहती है। कैबिनेट में प्रस्ताव पास करने का हवाला भी देती है। इस सबके बाद भी अगर जाति प्रमाण पत्र नहीं बनते, तो कोरी समाज के लोगों को समझ लेना चाहिए कि ये सब जानबूझकर और सरकार के इशारे पर ही हो रहा है। 

क्या किसी लेखपाल या अधिकारी की इतनी हिम्मत हो सकती है कि वो सरकार के आदेश को नकारने या पालन न करने की हिम्मत दिखा सके? अगर कोई सरकारी कर्मचारी ऐसी हिमाकत करता भी है, तो सरकार उसके खिलाफ तुरंत प्रभाव से सख्त कार्रवाई कर सकती है। लेकिन इतने सालों में क्या आपने कभी सुना कि किसी लेखपाल या तहसीलदार के खिलाफ कोरी जाति का प्रमाण पत्र जारी न करने पर कोई कार्रवाई हुई हो? यकीनन आपने ऐसा कभी नहीं सुना होगा। 


ऐसा इसलिए है कि कोरी जाति के प्रमाण पत्र सरकार के इशारे पर ही रोके जा रहे हैं। प्रमाण पत्र बनवाने का मकसद होता है आरक्षण का लाभ उठाना, और वर्तमान में यूपी की सत्ता पर काबिज भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा किसी से छिपा हुआ नहीं है। लेकिन कोरी समाज की सबसे बड़ी समस्या ये है कि जो पार्टी इस समाज की जड़ें काटने में लगी है, कोरी समाज के युवाओं का भविष्य बर्बाद करने में लगी है, कोरी समाज के नेता अपने निजी फायदे के लिए, उसी पार्टी की गुलामी में व्यस्त हैं।