🛑 कोली टाइम्स डेस्क
विभिन्न जातियों और समुदायों में बटे भारतीय समाज ने ऐतिहासिक किरदारों को भी अलग अलग जातियों के खांचों में बांट लिया है। हर समुदाय अपनी अपनी जातियों के महापुरुषों को महिमामंडित करता है, और उनके साथ अपनी पहचान को जोड़कर, अपने समाज और जाति को श्रेष्ठ साबित करने की कोशिश करता है। देश भर के अलग अलग राज्यों में फैला कोली समुदाय भी इसमें पीछे नहीं है। इसका एक बड़ा उदाहरण हैं, 17 वीं शताब्दी के मराठा योद्धा और छत्रपति शिवाजी महाराज के सेनापति सूबेदार तानाजी मालुसरे की जाति से जुड़ा विवाद ।
छत्रपति शिवाजी महाराज के सेनापति तानाजी मालुसरे को खासतौर पर कोंडाना किला फतह करने के लिए जाना जाता है। तानाजी ने शिवाजी के आदेश पर मुगलों के खिलाफ सिंहगढ़ का युद्ध लड़ा और इस किले पर फतह हासिल की, लेकिन इस युद्ध में वे वीरगति को प्राप्त हो गए।
क्यों महत्वपूर्ण हैं तानाजी मालुसरे?
तानाजी के 13वें वंशज कुणाल जी मालुसरे कहते हैं, "हम लोग हिंदू मराठा हैं। महाराष्ट्र में हमारे मालसुरे परिवार के 70 गांव हैं। जब तानाजी मूवी आई थी तब वहां के सब लोग इकट्ठा हुए थे। राजपूत कोली संघ ने कोर्ट में केस डाला था कि तानाजी को फिल्म में कोली दिखाओ, तब हमने ऐतराज जताया कि ऐसे कैसे कोई तानाजी को दूसरी जाति का बता सकता है? हमारी जाति अगर हिंदू मराठा है तो कोई उन्हें कोली क्यों बताएगा?"
फिल्म के बाद बढ़ा तानाजी को कोली बताने का चलन
अगर किसी शख्स की जाति को लेकर कोई भ्रम हो, तो सच्चाई जानने का सबसे अच्छा तरीका है कि सीधे उस गांव में चले जाए, जहां उसके वंशज निवास करते हों। गांवों की खास बात ये होती है कि यहां लोगों को तकरीबन हर व्यक्ति की वर्तमान से लेकर पिछली पीढ़ियों तक की जानकारी होती है। तानाजी के वंशज बताते हैं कि उनकी जाति हिंदू मराठा है, कोली नहीं। दरअसल तानाजी मालुसरे पर कोली जाति का लेबल लगाने की शुरुआत तब हुई, जब अजय देवगन की फिल्म तानाजी की रिलीज से पहले अखिल भारतीय क्षत्रिय कोली राजपूत संघ ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। याचिका में आरोप लगाया गया था कि फिल्म के डायरेक्टर ओम राउत ने, फिल्म में तानाजी के असली वंश को नहीं दिखाया है। उन्होंने अदालत से अपील की, कि वो सेंसर बोर्ड को फिल्म तानाजी का सर्टिफिकेट रोकने का निर्देश दें।
तानाजी के 13वें वंशज कुणाल जी मालुसरे ने बताया, "हमने सबूत के तौर पर तानाजी फिल्म के डायरेक्टर ओम रावत को मुंबई जाकर मालुसरे परिवार के 70 गांवों के लोगों के बर्थ सर्टिफिकेट सौंपे थे। हमने उनसे कहा था कि अगर कोई तानाजी की जाति को लेकर चैलेंज करता है, तो उसे हमारे सर्टिफिकेट दिखाएं। हमारे कागज देखने के बाद ओम रावत ने कोली राजपूत संघ के दावे को खारिज कर दिया था। मालुसरे परिवार के एक दो गांव हों, तो कन्फ्यूजन हो सकता है, लेकिन अगर 70 गांव मालसुरे परिवार के हैं और उनके सबके बर्थ सर्टिफिकेट पर हिंदू मराठा लिखा है, तो आप तानाजी को कोली किस हिसाब से बोल सकते हैं?"
अदालत ने भी कोली राजपूत संघ के दावे को खारिज कर फिल्म तानाजी के रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत ने फिल्म निर्माता को मूवी की शुरुआत में सिर्फ एक डिस्क्लेमर चलाने का निर्देश दिया था, ताकि फिल्म को लेकर किसी भी तरह का विवाद खत्म किया जा सके। कोली राजपूत संघ का दावा था कि फिल्म में तानाजी को मराठा कम्युनिटी का दिखाया गया है, जबकि उनका असली वंश क्षत्रिय महादेव कोली था।महाराष्ट्र में महादेव कोली क्षत्रिय जाति नहीं, बल्कि एक आदिवासी जाति है। महाराष्ट्र में लंबे अरसे से महादेव कोली जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग भी की जा रही है।
तानाजी के 13वें वंशज कुणाल जी मालुसरे ने कहा, "कुछ लोग कहते हैं कि वो मालुसरे नहीं हैं, उनकी जाति अलग है फिर भी वो तानाजी के वंशज हैं, ऐसा कैसे हो सकता है? मैं राजपूतों को भी बताना चाहता हूं कि तानाजी जिसके खिलाफ लड़े थे वो उदयभान राजपूत थे और तानाजी हिंदू मराठा थे।"
किसी भी इंसान की जाति की पुष्टि उसके रिश्तेदारों, खानदान के लोगों और उनके पैतृक निवास स्थान से ही होती है। समाज के भ्रमित लोगों को भी ये समझना चाहिए कि किसी ऐतिहासिक शख्सियत पर जबरन अपनी जाति का लेबल लगाकर, अपने समुदाय का सम्मान नहीं बढ़ाया जा सकता।
हालांकि आम धारणा यही है कि फिल्मों को लेकर जो भी विवाद होते हैं, उनका मकसद पब्लिसिटी हासिल करना होता है। ये बात काफी हद तक सही भी है। फिल्म के हीरो और सह निर्माता अजय देवगन ने भी तानाजी से जुड़े विवाद को लेकर तब कहा था "हमारे यहां इतनी सारी कम्युनिटी हैं, कोई ना कोई समुदाय आहत हो ही जाता है। आधे से ज्यादा लोग हर्ट नहीं होते हैं, बल्कि वो अपने प्रमोशन के लिए ऐसा करते हैं। हालांकि इनमें कुछ सही लोग भी होते हैं और उनसे बातचीत कर मामला सुलझ जाता है। लेकिन जो लोग जानबूझकर विवाद पैदा करते हैं, उन्हें पब्लिसिटी चाहिए होती है। यहां एक दिक्कत यह है कि आप सभी को खुश नहीं रख सकते. तो फिर ये सब तो हमें झेलना ही पड़ता है।"अजय देवगन ने तानाजी को लेकर विवाद पैदा करने वालों के बारे में जो कुछ कहा था, वह अखिल भारतीय क्षत्रिय कोली राजपूत संघ को आईना दिखाने के लिए काफी था। इतना ही नहीं, अभिनेत्री काजोल ने भी फिल्म को लेकर विवाद खड़ा करने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा था, "जब भी आप कोई बड़ी फिल्म बनाते हैं तो कोई ना कोई आपत्ति जरूर करेगा। सबको खुश रखना मुश्किल है। किसी ना किसी तो आपत्ति हो ही जाती है।"विकीपीडिया भी तानाजी को कोली नहीं मानता
इंटरनेट पर तमाम जगहों पर तानाजी को लेकर भ्रमित करने वाली सूचनाएं बिखरी पड़ी हैं। जानकारी के अभाव में लोग इन्हें ही सबूत मान लेते हैं और इन्हीं को आधार बनाकर गर्वित होने लगते हैं। आज के दौर में वेबसाइट और सोशल मीडिया पर कोई भी गलत जानकारी डाल देना बहुत सामान्य सी बात हो गई है। किसी के बारे में एक बार कोई फर्जी तथ्य इंटरनेट पर आ गया तो वो हमेशा पड़ा रहता है, और लोग उसे पढ़कर भ्रमित होते रहते हैं। ऐसी बहुत सी वेबसाइट्स हैं, जहां पर आपको तानाजी की जाति कोली लिखी हुई मिल जाएगी। लेकिन वे कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं हैं। इंटरनेट पर ऐसी जानकारी कोई भी अपलोड कर सकता है। यहां तक कि विकीपीडिया में भी कहीं पर भी तानाजी के कोली होने की बात नहीं लिखी। विकीपीडिया में यह तो लिखा है कि तानाजी की सेना में कोली समुदाय के कई योद्धा थे, लेकिन यह कहीं नहीं लिखा कि तानाजी भी कोली थे।
आखिर में एक उदाहरण। पिछले दिनों हाथरस की भाजपा विधायक अंजुला माहौर की जाति का विवाद उठा था। कोरी कोली समाज का कहना है कि उनका कोरी जाति का प्रमाण पत्र फर्जी है। इस मामले में खुद कोरी कोली समाज के लोगों ने यही तथ्य उठाया कि उनका कोई रिश्तेदार कोरी कोली समाज से नहीं है, तो वो भला कोरी कैसे हो सकती हैं। बात सही है। और यही बात तानाजी मालसुरे पर भी लागू होती है। हालांकि हम ये भी जानते हैं कि सच्चाई जानने के बाद भी कोली समाज के बहुत से लोग तानाजी मालसुरे पर कोली समाज का ठप्पा लगाने से बाज नहीं आएंगे। क्योंकि उनका काम ही ठप्पेबाजी है।