कोली टाइम्स ब्यूरो
भिलाई, छत्तीसगढ़। तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति भिलाई के खुर्सीपार में रहने वाले 56 साल के दयाराम कोरी हैं उनके साथ हैं उनकी पत्नी अमरावती। दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं। दयाराम कोरी भिलाई स्टील प्लांट में काम करते थे और पिछले कुछ समय से अपनी दोनों बेटियों की शादी की तैयारियों में जुटे थे। इस बीच वो ड्यूटी पर आने-जाने के दौरान पता नहीं कब, कहां और कैसे कोरोना संक्रमित हो गए। उन्हें 27 मार्च 2021 को पंडित जवाहर लाल नेहरू हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में दाखिल किया गया, जहां 28 मार्च 2021 को उनकी मौत हो गई।
दयाराम कोरी की मौत की खबर जब घर तक पहुंची, तब तक उनकी पत्नी अमरावती भी कोरोना संक्रमित हो चुकी थीं। कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत दयाराम का अंतिम संस्कार किया गया। परिवार इस सदमे से उबर पाता कि अमरावती की तबीयत भी बिगडऩे लगी। 29 मार्च को उन्हें भी अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां 6 अप्रैल 2021 को उन्होंने भी दम तोड़ दिया। दस दिनों के अंदर ही घर की खुशियां मातम में बदल गईं। हंसता-खेलता परिवार बिखर गया।
अब घर में अगर कोई बचा है तो वो हैं दयाराम कोरी के बच्चे, जिनके सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है। तीन बेटे और दो बेटियां अब तक पढ़ाई पूरी कर अपने पैरों में खड़े भी नहीं हुए थे। उनको इस बात का एहसास भी नहीं था कि मां-बाप उनको मझधार में छोड़कर चले जाएंगे। माता-पिता के चले जाने से बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो चला है। पिता के जाने के बाद से उनके अकाउंट में वेतन आना भी बंद हो गया। यहां तक कि भिलाई स्टील प्लांट के अधिकारियों ने बच्चों का हाल-चाल तक लेने की जहमत तक नहीं उठाई। यतीम हो चुके बच्चों के सामने जिंदगी को फिर से समेटने के लिए बस एक ही रास्ता है कि घर के सबसे बड़े बच्चे को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिल जाए। दूसरी उम्मीद सरकार से मिलने वाली वो आर्थिक सहायता है जो कोविड से मौत होने पर दी जाती है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि कोविड डेथ की लिस्ट में अभी तक दयाराम कोरी और उनकी पत्नी अमरावती का नाम ही नहीं है।