मध्य प्रदेश के चंदेरी में कमलेश कोरी के परिवार को 12 साल से बॉलीवुड स्टार आमिर खान का इंतजार है !

2009 में आमिर खान और करीना कपूर चंदेरी में कमलेश कोरी के घर आए थे। 

चंदेरी, कोली टाइम्स डेस्क।
मध्य प्रदेश के चंदेरी शहर से 4 किलोमीटर दूर छोटे से गांव प्राणपुर में रहने वाला कमलेश कोरी का परिवार 12 साल से बॉलीवुड स्टार आमिर खान का इंतजार कर रहा है। लेकिन उनका ये इंतजार खत्म होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। इंतजार की दास्तां 12 साल पुरानी है, जब आमिर खान ने एक टूटे फूटे घर में रहने वाले कमलेश कोरी को अपना नाम लिखी हुई सोने की अंगूठी गिफ्ट कर, अपना दोस्त बना लिया था। और साधारण सा यह परिवार रातों रात मीडिया की सुर्खियां बन गया था।


साल 2009 का वाकया है। जब आमिर खान और करीना कपूर अपनी फिल्म थ्री ईडियट्स के प्रोमोशन के लिए अचानक मध्य प्रदेश के बुनकर कमलेश कोरी के घर में आ पहुंचे। आमिर और करीना ने इस बुनकर परिवार के उनके ही घर में घंटों बिताए, और उनके साथ भोजन भी किया। कुछ समय पहले एक्ट्रेस करीना कपूर ने चंदेरी की ब्लैक साड़ी के साथ इंस्टाग्राम पर अपनी एक फोटो शेयर की थी। साथ ही उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर ही साल 2009 का एक वीडियो भी शेयर किया था। उस वीडियो में आमिर खान चंदेरी के बुनकर कमलेश कोरी से पूछते हैं कि क्या वे उनसे साड़ी खरीद सकते हैं। जवाब में कमलेश कोरी हां कहते हैं। तब आमिर कहते हैं कि वे उस साड़ी को करीना के लिए खरीदेंगे। और साढ़े 6 हजार रुपये की इस साड़ी के लिए उन्हें मार्केट प्राइस के हिसाब से 25 हजार रुपये देंगे। आमिर ने जो साड़ी करीना कपूर को गिफ्ट की थी, वो अब करीना सिस्का के नाम से मशहूर है।

कमलेश कोरी अपने घर में कपड़ा बुन रहे हैं और आमिर खान उनसे बात कर रहे हैं

थ्री ईडियट्स फिल्म की रिलीज से एक दिन पहले 23 दिसंबर 2009 को मुंबई में हुई शानदार पार्टी में आमिर खान ने कमलेश कोरी और उनके रिश्तेदार को भी आमंत्रित किया था। तब कमलेश कोरी उस पार्टी में शरीक हुए और आमिर खान ने उनकी आर्थिक मदद भी की। इसके साथ ही उन्होंने कमलेश कोरी से वादा किया था कि वे बुनकरों के लिए मुंबई में एक शोरूम बनवाएंगे, जहां गांव के बुनकर सीधे अपनी साड़ियां बेच सकेंगे। आमिर की इन बातों को सुनकर कमलेश कोरी ने सोचा था कि उनके भी दिन बदल जाएंगे, लेकिन आमिर खान का इस परिवार से किया हुआ वादा आज तक पूरा नहीं हुआ। आमिर का इंतजार करते करते बरसों गुजर गए। इसी बीच कोरोना की दूसरी लहर में समय पर इलाज न मिलने के कारण पिछले साल 31 मई 2021 को कमलेश कोरी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। कमलेश कोरी के जाने के बाद हालत ये है कि आज उनका परिवार दाने दाने को मोहताज है। 

आमिर खान ने कमलेश कोरी को एक सोने की अंगूठी दी थी, जिस पर A के लिखा हुआ है।

कमलेश की पत्नी कमला बाई बताती हैं, "आमिर खान ने मेरे पति को एक सोने की अंगूठी दी थी, जिस पर ए के लिखा हुआ था। मेरे पास आज भी वो अंगूठी सुरक्षित रखी है। कमलेश के निधन के बाद हम वाकई में आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। मैं साड़ी भी नहीं बुन सकती। इसलिए रोजी रोटी के लिए बीड़ी बनाती हूं।" 


पचास साल की कमला बाई अपने 9 साल के बेटे आशीष, 12 साल की बेटी करिश्मा और 21 साल की संतोषी के साथ एक कच्चे घर में रहती हैं। संतोषी मानसिक रूप से कमजोर है। कमला ने उस रात को याद करते हुए बताया कि आमिर खान इनके परिवार के साथ काफी घुल मिल गए थे। उन्होंने कमलेश को अपना दोस्त तो कहा ही था, साथ ही बेटी संतोषी का इलाज करवाने की बात भी कही थी। तब संतोषी 9 साल की थी, अब वो 21 साल की हो चुकी है। 12 साल हो गए इंतजार करते-करते, लेकिन किसी ने उनकी खैर खबर नहीं ली। कमलेश के निधन के बाद आर्थिक तंगी की वजह से आशीष और करिश्मा स्कूल छोड़ चुके हैं। 

चंदेरी के कमलेश कोरी की बनाई हुई चंदेरी साड़ी पहने हुए बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर

कमला बाई बताती हैं, "आमिर खान ने हमारी मेहमान नवाजी के लिए धन्यवाद देते हुए मेरे पति को एक ख़त लिखा था और अपना पर्सनल नंबर देते हुए कहा था कि कभी भी कोई जरूरत हो तो कॉल करना। लेकिन जब भी कॉल किया, उनका नंबर नहीं लगा। पति की मौत के बाद भी कॉल किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। अब हमारे पास बच्चों की स्कूल फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए उनका स्कूल भी छूट गया है। अगर आमिर खान दोस्ती का फर्ज निभाते हुए हमारे बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम कर दें, तो हम उनका अहसान कभी नहीं भूलेंगे।"


लेकिन फिलहाल तो ऐसा लगता है कि 12 साल में आमिर खान चंदेरी को पूरी तरह भूल चुके हैं। उन्हें तो शायद ये भी नहीं मालूम होगा कि प्राणपुर गांव में उन्होंने जिस बुनकर को अपना दोस्त बनाया था, वो अब इस दुनिया में ही नहीं है। बहरहाल कमलेश कोरी की कहानी भी किसी फिल्म के जैसी ही है, जब तक फिल्म पर्दे पर चलती रहती है, लोग वाह वाही करते रहते हैं। तालियां बजाते रहते हैं। और जैसे ही फिल्म पर्दे से उतरती है तो वक्त के साथ साथ उसकी यादें भी धुंधली होती जाती है।